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अब अपना कुछ भी नहीं: गुरदास मान
रिलीज होने वाली सुखमनी- होप फॉर लाइफ गुरदास मान और जूही चावला की जोड़ी वाली तीसरी पंजाबी फिल्म है। आ रही इस फिल्म का निर्देशन गुरदास मान की पत्नी मंजीत ने किया है। बातचीत लीजेंड ऑफ पंजाब गुरदास मान से..
आप सुखमनी.. को किस जॉनर की फिल्म कहेंगे?
यह पंजाबी में ऐसी पहली फिल्म है, जो फौजियों पर बनी है। इसमें जूही चावला, दिव्या दत्ता और अनूप सोनी जैसे कलाकार हैं। यह एक फौजी की कहानी है। बचपन में फौजी बनना मेरा सपना था। मैं फौज में तो नहीं जा पाया, लेकिन वह सपना पर्दे पर पूरा करने का मौका मुझे मिला है। मैं मेजर कुलदीप का रोल निभा रहा हूं। जूही चावला मेरी वाइफ बनी हैं। यह एक अच्छी फिल्म है।
इसमें जूही चावला और आपकी जोड़ी है, तो क्या अपेक्षाएं लेकर दर्शक थिएटर में जाएंगे?
जूही जी जैसी इंटरनेशनल लेवल की आर्टिस्ट के साथ जब मेरे जैसा छोटा सा आदमी मिलता है, तो लगता है कि समंदर में एक बूंद गिर गई। जूही जी के आने से पंजाबी फिल्मों को मजबूती मिली है। उन्होंने पहली बार देस होया परदेस में काम करना स्वीकार किया, तो सभी ने बहुत प्यार किया और उस फिल्म को सराहा। उसके बाद उन्होंने वारिस शाह में काम किया। दोनों फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। सुखमनी हम दोनों की एकसाथ तीसरी पंजाबी फिल्म है। उम्मीद है लोग इसे भी पसंद करेंगे।
पत्नी मंजीत मान के निर्देशन में काम करने का अनुभव कैसा रहा? पती-पत्नी के रिश्ते तो नहीं रहे?
कभी-कभी मैं हावी हो जाता था। याद ही नहीं रहता था कि वे मेरी डायरेक्टर हैं। जब मैं दो दिन लगातार शो करके आता और शॉट देने जाता था, तो मेरी थकावट साफ नजर आती थी। कैमरा यह सब बर्दाश्त नहीं करता। वह बता देता था कि थकावट नहीं चलेगी। डायरेक्टर बोलता कि यह कर लो, वह कर लो। थकावट नहीं दिखनी चाहिए। उस वक्त हम दोनों के बीच थोड़ी कहा-सुनी हो जाती थी।
आप कह रहे थे कि आप फौजी बनना चाहते थे। इस मुकाम तक आने के लिए आपने कितने सपनों का त्याग किया है?
खाने-पीने में बहुत सारी चीजें छोड़ी हैं। दुनियादारी छोड़ी है। बहुत कुछ खोता है आदमी बहुत कुछ पाने के लिए। बिना गुम हुए कोई चीज मिलती नहीं। दुनियादारी सबसे बड़ा रिश्ता है। इस फील्ड में आने के बाद आप लोगों की प्रॉपर्टी हो जाते हैं। अब अपना कुछ भी नहीं है।
आपके बेटे गौरिक मान इस फिल्म के निर्माता हैं। क्या वे एक्टिंग में आएंगे?
यह जरूरी नहीं है। मैं ऐसा नहीं चाहता। 3 इडियट्स की जो स्टोरी है, उससे मैं बहुत प्रभावित हूं। मैं उस फिल्म को देखकर बड़ा फर्क महसूस कर रहा था। मैं ऐसा बाप नहीं हूं, जो बेटे पर अपनी इच्छा थोपे। इन कारणों से कितनी आत्महत्याएं हुई हैं। मैंने ऊपर वाले पर छोड़ दिया है। वह जो भी करेगा, अच्छा करेगा।
शोहरत पाने के बाद भी आप सरल, सहज और जमीन से जुड़े हैं?
जिस पेड़ पर फल लगता है, वह झुकता है। यह कुदरत का दस्तूर है। मैं भी कुदरत का एक हिस्सा हूं। पेड़ नीचे नहीं झुकेगा, तो कैसे कोई उसके फल का स्वाद लेगा। फिर जो झुकेगा नहीं, वह किसी दिन टूट जाएगा।
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