परिवीक्षा अवधि
स्कूल और कॉलेज के दिनों में नेतागिरी और उद्दण्डता का पर्याय बन चुका वो शख्स इन दिनों सरकारी नौकरी लगने पर किसी आज्ञाकारी बालक की तरह व्यवहार कर रहा था। उसको जानने वालों के लिए यह चमत्कारी परिवर्Ã* ��न था। अपने एक परिचित के सामने उसने आखर राज उगल ही दिया। ‘‘यार! जैसे-तैसे यह परिवीक्षा अवधि पूरी हो जाये, बस। उसके बाद....!’’
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